थारपारकर प्रजाति
भारत के गौवंश, देसी गायों में कामधेनु के नाम से जानी जाने वाली थारपारकर नस्ल सबसे अधिक लोकप्रिय है । कम खर्च में अधिक दूध देने वाली ये प्रजाति पशुपालकों की पसंदीदा है । डेयरी व्यवसायी इस नस्ल की गाय को अपने डेयरी फार्म में रखना पसंद करते हैं । हालांकि पिछले कुछ समय से इस गौवंश का उचित संरक्षण ना होने के कारण ये नस्ल विलुप्त हो रही है, इस ओर अब तेजी से काम हो रहा है । पशुपालकों के लिए ऐसी नस्ल की गाय बेहतर होती हैं जिन पर लागत कम लगे और मुनाफा ज्यादा से ज्यादा हो । ऐसे में थारपारकर एक ऐसी ही गाय है । आगे जानें इस गाय की विशेषताएं ।
थारपारकर नस्ल की उत्पत्ति
भारत की इस देसी गाय का गृह क्षेत्र पाकिस्तान में दक्षिण पूर्व सिंध के थारपारकर जिले में माना जाता है । ये गाय पाकिस्तान में अमरकोट, नकोट, धोरोनारो समेत पश्चिमी राजस्थान वाली भारत पाक सीमा में पाई जाती है । इसके साथ ही भारत में थारपारकर गाय जोधपुर, बाड़मेर जैसलमेर, राजस्थान के जिले और गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पाई जाती हैं । गाय की ये प्रजाति भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू गायों में गिनी जाती है । इस गाय का उत्पत्ति स्थल मालाणी (बाड़मेर) माना जाता है ।
थारपारकर प्रजाति के और नाम
थारपारकर के रंग की वजह से इसे वाइट सिंधी, ग्रे सिंधी, तारी नाम से भी बुलाया जाता है । राजस्थान के कुछ भागों में इसे ‘मालाणी’ नस्ल के नाम से भी जाना जाता है ।
थारपारकर गाय की शारीरिक विशेषताएं
रंग –
थारपारकर गायें सफेद या धूसर रंग की होती हैं, इनकी पहचान है इसकी पीठ के ऊपर हल्के धूसर यानी मटमैले या ग्रे रंग की धारियां ।
बनावट –
इस नस्ल की गाय की बनावट भी बहुत खास होती हैं ।
- थारपाकर गाय का सिर मध्यम आकार का होता है, माथा चौड़ा और ललाट उभरा हुआ होता है।
- थारपारकर की सींग मध्यम लंबाई की और मोटी होती हैं ।
- थारपारकर गाय के कान लंबे और चौड़े होते हैं । इनके कान के अंदर की त्वचा हल्के पीले रंग की होती है।
- थारपारकर नस्ल के पशु की पूंछ लंबी, पतली होती है।
प्राकृतिक वास
थारपारकर शुष्क क्षेत्रों की नस्ल है, इसलिए ये बेहद गर्म मौसम की मार भी झेल सकती है । ये नस्ल अलग-अलग जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढाल सकने में सक्षम है, तापमान जीरो डिग्री हो या 50 डिग्री थारपारकर नस्ल की गाय हर मौसम में खुद को ढाल लेती है । ये गाय बहुत कम भोजन में भी जीवित रह सकती है ।
ऊंचाई और वजन
नर थारपारकर का वजन 480-500 किलोग्राम तक हो सकता हैं जबकि मादा थारपारकर 400-450 किलोग्राम तक हो सकती है । नर की ऊंचाई 133 सेमी. तक होती है, जबकि मादा थारपारकर की ऊंचाई 130 सेमी. होती है ।
थारपारकर गाय की दूध उत्पादन क्षमता
थारपारकर गाय दुधारू गायों की देसी किस्म में सबसे अच्छी इसलिए मानी जाती है क्योंकि इस नस्ल की गाय 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तापमान में भी अधिक से अधिक दूध देने की क्षमता रखती है । यानी मौसम से गाय के दूध उत्पादन में कोई फर्क नहीं पड़ता । ऐसा देखा गया है कि तापमान बढ़ने के साथ अन्य नस्लों की गायों का दुग्ध उत्पादन 20 से 30 फीसदी घट जाता है, लेकिन थारपारकर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अधिक दूध देने में समर्थ है । गाय की अन्य नस्लों की तुलना में यह अधिक गर्मी या सर्दी में भी 10 से 20 लीटर दूध प्रतिदिन देने में सक्षम है । ध्यान देनी वाली बात ये है कि थारपारकर नस्ल की गायों को अच्छे प्रकार से लालन- पालन और संरक्षण किए जाने पर गाय की दूध उत्पादन क्षमता को और अधिक किया जा सकता है ।
थारपकर गाय की दुग्ध उत्पादन क्षमता और दुग्ध गुणवत्ता को लेकर NDRI– NDRI-National Dairy Research Institute करनाल के आंकडें कुछ इस प्रकार हैं –
- 1,749 kg ( Range 913 to 2,147 kg)
- Lactation Length 286 Days ( Range 240 – 377 Days)
- Dry Per Days (Range 115 – 191 Days)
- Service Period 128 Days (Range 108 – 191)
- Calving Interval 431 Days (Range 408 – 572 Days)
- Fat is about 4.88% (Range 4.90%) & SNF 9.2% (Range 8.9 to 9.7%).
दूध की गुणवत्ता
थारपारकर गाय के दूध में 5 फीसदी फैट पाया जाता है, गाय के दूध में SNF (Solid-Not-Fat) % सिर्फ 4.8 फीसदी होता है । इस गाय के दूध का स्वाद बहुत ही मीठा होता है, दूध की मलाई या दही से तैयार घी भी खुशबूदार और खाने में स्वादिष्ट होता है ।
दूध की खासियत
थारपारकर गाय का दूध पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है । गाय के दूध में प्रोबायोटिक्स पाया जाता है, ये शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं । दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, ऐसे में जो इस दूध का सेवन करता है वो मेंटल डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से बचा रह सकता है । गाय का दूध दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है । थारपारकर गाय के दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, ये हड्डियों को मजबूत करता है । बच्चों के लिए गाय का दूध ही सबसे फायदेमंद माना गया है । बच्चों के उचित बौद्धिक विकास के लिए थारपारकर गाय के दूध का प्रयोग लाभदायक है ।
थारपारकर गाय का चारा
थारपारकर गाय के चारे की चिंता करने की आवश्कता नहीं है, इस नस्ल की गायें कम भोजन में भी उत्तम परिणाम देती हैं हालांकि उचित देखभाल आपके लिए ही मुनाफे का सौदा होगी । चारे में उर्जा, प्रोटीन, खनिज पदार्थ और विटामिन का अच्छा मिश्रण रहे तो गाय स्वस्थ रहती है और अच्छी मात्रा में दूध देती है ।
जीवनकाल
गर्म और शुष्क मौसम को झेलने में सक्षम थारपारकर गाय का औसतन जीवन 25 से 28 वर्ष तक का होता है । ये गाय अच्छी देखभाल के साथ लंबे समय तक स्वस्थ रह सकती हैं ।
प्रजनन
देसी गायों की अन्य प्रजातियों की तुलना में थारपारकर की प्रोडक्टिविटी बेहतर है । अपने जीवनकाल में यह 15 बार बच्चों को जन्म दे सकती है, दूसरी नस्लों की गायें 5 से 10 बच्चों को ही जन्म दे पाती है ।
मुख्य प्रदेश
थारपारकर नस्ल मूलतः राजस्थान प्रान्त की है, बाड़मेर, जैसलमेर के अलावा ये गायें जोधपुर, जालौन और सिरोही इलाकों में प्रमुख रूप से पाई जाती है । इस नस्ल की गायों को देश के दूसरे हिस्सों में भी थोड़ी सी देखभाल के साथ आसानी से पाला जा सकता है ।
थारपारकर प्रजाति की गाय की कीमत
थारपारकर गाय अपनी उत्तम क्वालिटी की दूध उत्पादन क्षमता के कारण ऊंची कीमतों पर मिलती हैं । वर्तमान में इस गाय की कीमत 35 हजार रूपए से लेकर 55,000 रुपये तक के बीच हो सकती है । गाय की कीमत इस पर भी डिपेंड करती है कि आप कहां से, कितनी उम्र की और कैसी गाय खरीद रहे हैं । कुछ समय पहले एक पशु मेले में इस नस्ल की गाय ढाई लाख से भी ऊंची कीमत पर खरीदी गई थी ।यदि कोई पशुपालक गाय खरीदना चाहता है तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर एक बार जरूर देखें, यहां आपको देसी गायों की उन्नत किस्म से जुड़ी समस्त जानकारी उपलब्ध होगी –