मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo)
मुर्रा भैंस, हरियाणा का ‘काला सोना’ कही जाती हैं । यानी ये विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल में से सबसे ऊपर है । मुर्रा भैंस दूध उत्पादन के लिए पाली जाती हैं । सबसे खास बात ये कि यह नस्ल भारत के सभी इलाकों में पायी जाती है, और आसानी से पाली जा सकती है । आपको जानकर हैरानी होगी कि पशुधन प्रजातियों में इस नस्ल की भैंस का योगदान 50 फीसदी है, जी हां भारत के कुल दुग्ध उत्पादन में लगभग 50 फीसदी इस्तेमाल मुर्रा नस्ल का ही है । इस भैंस के दूध की गुणवत्ता लाजवाब है ।
मुर्रा भैंस की उत्पत्ति
इस भैंस का गृह क्षेत्र हरियाणा का रोहतक, हिसार, जीन्द और करनाल जिले हैं । इसके अलावा ये दिल्ली और पंजाब की भी मानी जाती है । सबसे खास बात जो शायद आप नहीं जानते होंगे वो ये कि भारत मूल की ये भैंसे इटली, बल्गेरिया, मिस्र आदि में भी पाली जाती हैं ।
मुर्रा भैंस प्रजाति के और नाम
मुर्रा भैंसों को दिल्ली, कुंडी, काली नाम से बुलाया जाता है । जबकि सुमात्रा में ये कर्बन बनलेंग और मलेशिया में कर्बन शुंगई या कर्बन सापी के नाम से जानी जाती है ।
मुर्रा भैंस गाय की शारीरिक विशेषताएं
रंग –
मुर्रा भैंसों का रंग स्याह काला यानी जेट ब्लैक होता है । अप इसे गहरा ग्रे कलर भी मान सकते हैं ।
बड़ी-बड़ी आंखों वाली ये भैंसें देखने में मजबूत लगती हैं । इस नस्ल की मुख्य विशेषता है इसके छोटे मुड़े हुए सींग और इसके खुर व पूंछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे का होना । शरीर के मुकाबले इस नस्ल की भैंसों का सिर छोटा होता है ।
ऊंचाई
मादा मुर्रा भैंस की बात करें तो इनकी ऊंचाई 140 सेमी के आस-पास होती है, वहीं नर मुर्रा की ऊंचाई करीब 143 सेमी तक हो सकती है ।
वजन
मुर्रा भैंस का वजन लगभग 550 किलोग्राम के आसपास हो सकता है । वहीं युवा मुर्रा भैंसे का वजन 650 किलोग्राम के आसपास तक होता है ।
मुर्रा भैंस गाय की दूध उत्पादन क्षमता
मुर्रा नस्ल की भैंसें देसी और दूसरी प्रजाति की गाय-भैंसों से अच्छा दूध देती हैं । सबसे खास बात ये कि जिस भी पशुपालक के पास ये भैंस होती है उन्हें कमाई की दिक्कत पेश नहीं आती । मुर्रा नस्ल की दुग्ध उत्पादन क्षमता की बात करें तो यह हर रोज 15 से 20 लीटर दूध आसानी से दे सकती है । वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ भैंसें तो कभी-कभी 30-35 लीटर तक भी दूध दे देती हैं । इन भैंसों का दूध बहुत ही फायदेमंद होता है और डिमांड में भी रहता है । इसी वजह से पशुपालक इसे खरीदना चाहते हैं और पाल रहे हैं ।
मुर्रा भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता और दुग्ध गुणवत्ता को लेकर NDRI- NDRI-National Dairy Research Institute करनाल के आंकडें कुछ इस प्रकार हैं –
Overall Lactations
- 1,751.8 kg (range 1,003 to 2,057 kg), 1,660.1 kg (range 1,472 to 1,962 kg), 298.7 days (range 269-337 days) and 154.8 days (range 127-176 days).
- On an average, milk contains about 7.3% fat (range 6.9 to 8.3%).
- In first parity: Service period averages 177.1 days (range 141 to 281 days) and in overall parities 136.3 days (range 125 to 187 days.
- First calving interval varies from 455 to 632 days (average 488.1 days) overall calving interval varies from 430 to 604 days (average 452.9 days).
- Number of services per conception varies from 1.75 to 2.15 (average 1.93)
Avg. Milk Yield
Total lactation milk yield 305-day milk yield lactation length and dry period average first lactation 1,678.4 kg (range 904-2,041 kg), 1,675.1 kg (range 1,355 to 1,964 kg), 307.0 days (range 254 to 373 days) and 187.6 days (range 145 to 274 days).
दूध की गुणवत्ता
मुर्रा नस्ल की भैंस के दूध में 7% वसा पाई जाती है । जो कि दुग्ध व्यवसायिओं के लिए बहुत ही फायदे की बात है । दूध की उत्तम किस्म के साथ घी-दही और मक्खन से भी बढि़या आमदनी होती है ।
नर मुर्रा भैंस
मुर्रा नर भैंस बलशाली होते हैं । खेतों में काम आती हैं वहीं गाड़ी में भी जाते जाते हैं । ये अच्छे भारवाहक होते हैं ।
मुर्रा भैंस – कम लागत में लालन-पालन
मुर्रा भैंस की सबसे बड़ी खूबी है कि उसका लालन-पालन बहुत ही कम लागत में किया जा सकता है । इस नस्ल की भैंसें किसी भी वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने में सक्षम होती हैं । आम सी देखभाल में भी बढि़या दूध उत्पादन करती हैं और अच्छी देखभाल के साथ आपको मालामाल कर सकती हैं ।
प्रजनन जीवनकाल
मुर्रा भैंस की गर्भावधि 310 दिन की होती है । अन्य भैंसों की तुलना में इस नस्ल के भैंसें बिल्कुल अलगहाती हैं । अमूमन देश में भैंसों की उम्र ज्यादा से ज्यादा 20-22 साल की मानी जाती है। लेकिन पशुपालकों के पास उचित देखभाल के साथ ये भैंस 27 साल है तक रह जाती हैं । सबसे ध्यान देने वाली बात ये कि भैंस के ब्याने के 100 दिन बाद भैंस गाभिन होती है, इसमें 300 दिन गर्भकाल को जोड़कर अगला बच्चा 400 दिन के अंतर पर होता है। यानी ब्यांत अंतराल 13-14 महीने रहने पर भैंस अपने जीवनकाल में अधिक और स्वस्थ बच्चे देगी और ज्यादा समय तक दूध उत्पादन में भी रहेगी । पशु पालकों को ये ध्यान में रखना होगा कि मादा पशु की जनन क्षमता इसी से परखी जाती है कि उसके दो ब्यांत के बीच कितना अंतर है।
मुर्रा भैंस गाय की अन्य विशेषताएं
इस भैंसों की बहुत ही बढि़या बात जो पशुपालकों के बीच इस नस्ल को पसंदीदा बनाती है वो है इसका किसी भी प्रकार की जलवायु में जीवित रहने में सक्षम होना । ये भैंसे ज्यादा शोर में रहना पसंद नहीं करती, इन्हें शांति में रहना पसंद होता है ।
मुर्रा भैंस का चारा
मुर्रा भैंस बढि़या दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं । इस वजह से उनके चारे का बंदोबस्त भी अच्छा होना चाहिए । पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि भैंसों के संतुलित आहार का भी ध्यान रखें । भैंसों की चराई अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि ये अच्छा नहीं होगा तो पशुओं के दूध उत्पादन में बहुत फर्क पड़ता है । 10 लीटर तक दूध देने वाली भैंस को पूरे दिन में लगभग 4 किलोग्राम दाना खिलाना चाहिए, सूखा भूसा करीब 3 किलो और 15-20 किलो हरा चारा खिलाना चाहिए ।
मुख्य प्रदेश
मुर्रा भैंसें दिल्ली पंजाब के साथ ही अपने गृह क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, हिसार, जीन्द और करनाल जिले में बड़े प्यार से पाली जाती हैं । दुग्ध उत्पादन क्षमता के कारण ये विदेशों में भी पशुपालकों की लोकप्रिय है ।
मुर्रा भैंस प्रजाति की गाय की कीमत
आमतौर पर मुर्रा भैंसें 40 से 80 हजार रुपये के बीच में होती है । लेकिन भैंस अगर 12 लीटर से ज्यादा दूध देने में सक्षम हो तो उसकी कीमत 45 हजार से ज्यादा हो सकती है । हालांकि भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस के दामों में अंतर हो सकता है ।यदि कोई पशुपालक दुधारू गाय खरीदना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर जाकर एक बार जरूर देखें, यहां आपको देसी गायों की उन्नत किस्म से जुड़ी समस्त जानकारी उपलब्ध होगी –